जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Thursday, February 7, 2013
क्या, ऐसे खुश रह पाओगे?
हमारी शून्य जैसी और आपकी भागती-दौड़ती ज़िन्दगी,
हमारी इस तरह और आपकी उस तरह कट ही जायेगी!
कुछ पाकर... जिनके लिए पाया, उनको खोना,
क्या तेरी ताबीर तुझे ऐसे खुश रह पायेगी!
वक़्त-बेवक्त की शामते, पल-पल की परेशानियां,
क्या ये बैचैनियाँ तुझे तेरी मंजिल तक ले जा पायेंगी!
परेशान हो या बेफिक्र रह, ये सब तो तेरे हाथ में ही हैं,
जो होनी है,ना चाहने पर भी ... वो हो ही जाएगी!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
शून्य - Nil/Zero
ReplyDeleteभागती - Running
ताबीर - Destiny
बेवक्त - Odd hours
परेशानियां - Problems
बेफिक्र - Worriless