जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Wednesday, January 30, 2013
एक पन्ना ऐसा भी!!
एक खाली पन्ने को कल दिल से लगाकर लेट गया,
उठा तो देखा... कुछ अलफ़ाज़ उस पर उतर आये थे!
क्या कहूँ क्या-क्या लिखा था, उस टुकड़े पर दिल ने,
उन आड़ी-तिरछी रेखाओं में दिल का दर्द उतर आया था!
सीधी तरफ दिल ने कुछ रिश्तो के नाम गूँथ दिए थे!
माँ-बाबा के लिए चरण-स्पर्श .. सनम के लिए आब-ए-ज़िगर, उकेर दिए थे!
वही नीचे कुछ नाज़ुक शब्दों की आहट सुनाई दे रही थी,
दिल ने अपने सारे एहसास.. वहां... स्याह रंग में पिरो दिए थे!
कहीं गोल चक्कर सी ... तो कही मिटती रेखाओं की,
कहीं उलझती, तो कभी उभरती निशानियाँ भी थी,
कहीं नन्ही कोपलो सी ... तो कही ऊँचे दरख्तों सी,
मेरे मजबूत एहसास और भीगे लम्हों की कहानियां भी उन में थी!!
पलट के जो उस कागज़ को देखा, तो दूसरी तरफ मेरे हाथ की रेखाएं छपी थी,
मेरे कल से लेकर आज की... और आने वाले कल की .. सब बातें वहाँ पड़ी थी!
कुछ अधूरे किस्से.. छूटे रिश्ते... पुरानी बातें और कुछ तरसते एहसास,
ज़िन्दगी के आज वो सारे पन्ने.. यूं ही आज हमारे सामने आ गये!
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पन्ने - Pages
ReplyDeleteअलफ़ाज़ - Words
टुकड़े - Peices
गूँथ - Bind
रेखाओं - Lines
चरण-स्पर्श - Touch the feets for blessings
आब-ए-ज़िगर - Tears of Heart
उकेर - Scribe
कोपलो - Buddings
दरख्तों - High trees