Wednesday, November 20, 2013

सचमुच दुनिया बहुत लम्बी हो गयी हैं!





दुनिया बहुत छोटी है दोस्त.. बस इतना ही देख लो,
शाम को खोया सूरज, फिर अगले रोज़ खिड़की पर दोबारा दिख जाता हैं!

पूछा एक रोज़ मैंने उस के यूँ ही चले जाने का कारण,
बोला खिल-खिला के कि जाता मैं हूँ या तुम,
मैं तो रहता हूँ यही.. तुम ही दिन भर मुझसे आँखे चुरा के,
अपने ही काम में मशरूफ़ रहते हो तुम,
जो आ जाती है थकान, मुझसे नज़रे चुराने में,
तो आँख मूँद लेते हो, और कहते हो .. "मैं खो गया"!

चुभ गयी उसकी दिल्लगी और अपनी बेरुखी,
याद किया कब से नहीं देखा मैंने पूर्णिमा का चाँद,
अब तो वो CFL ही चाँद सूरज लगता हैं,
और SHOWER ही बरसात!!
वो A/C के सामने.. मुंह पे आती हवा
बस यूँ ही खुद को कश्मीर में खडा महसूस करता हूँ!

बाकी सब एहसास तो पा लेता हूँ,
पर दोस्तों की वो कमीनी गालियाँ,
बेटे की बढती लम्बाई.
माँ- पिताजी के चेहरे की झुर्रियां,
ओर बीवी की मुस्कराहट का राज़,
और उनके साथ जुड़े कई सारे एहसास भूल गया हूँ!

सचमुच दुनिया बहुत लम्बी हो गयी हैं!

1 comment:

  1. शाम - Evening
    खिड़की - Window
    दोबारा - Again
    मशरूफ़ - Busy
    थकान - Tired
    बेरुखी - Apathy
    पूर्णिमा का चाँद - Full Moon Night
    एहसास - Feeling
    झुर्रियां - Wrinkles
    मुस्कराहट - Smile

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