जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Saturday, May 25, 2013
अरदास
या खुदा मेरी ये एक इल्तजा सुन ले,
मुझे कुछ कहने बस इक मौक़ा दे दे!
मुझे मेरे यार की खातिर, बस एक बार या मौला ...
उसकी आँखों में बस इक बार खडा कर दे!
इस जहान से में एक आखिरी बात कहना चाहता हूँ,
तू, ज़रा उनकी पल भर की मसरूफियत कम कर दे!
दरकार मुझे भी थी, कुछ कर गुजरने की,
जीते जी ना कुछ कर सका, कम से कम अब ही इनायत कर दे!
आँखों में इंतज़ार और होठों पे एक फ़रियाद हर समय हैं,
खुदा-या .. मौत से पहले तो कम से कम, मुझे "मैं" कर दे!
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इल्तजा - Request
ReplyDeleteमौला - God
जहान - World
आखिरी - Last
दरकार - Needed
इनायत - Kindness
फ़रियाद - Request