जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, April 30, 2013
गम-ए-यार
वो आज फिर आये ... और नहीं भी आये,
वो ना आये मेरी नज़र में ,पर मेरी यादों में लौट आये!
जाने क्या मजबूरी रही होगी उनकी भी,
उनकी खुशबु तो मेरी बज़्म में आई ,पर वो नहीं आये!
कहने को तो वो भी दुनिया की खुश-फ़हमी बढा रहे हैं,
किसने देखे ... नाम मेरा आने पर , आँखों में उनकी कितने मोती आये!
अपनी तन्हाई को मैं उनका मुझ पर एहसान मानता हूँ,
सुना है कि मेरे हालात से वो हर लम्हा इत्तेफाक रखते आये!
उनको भी तकलीफ होती होगी , इन जुदाई के लम्हों में,
मेरा हिस्सा तो मेरा है ही , जाने उनके हिस्से में कितने गम आये!
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नज़र - Eyesight
ReplyDeleteमजबूरी - Compulsion
खुशबु - Fragrance
बज़्म - Meeting
खुश-फ़हमी - To show someone your happiness
मोती - pearls
इत्तेफाक - By Chance / Agreement