Saturday, April 20, 2013

मेरा इश्क - मेरे गम





नज़रों का क्या कसूर, यूं ही ये छलक आई हैं,
कसूर तो उनका है, जिन्होंने दिल दुखाया हैं!

उसने तो सरे -आम अपनी ख़ुशियाँ मनाई हैं,
उसी की ख़ुशी के लिए, हमने गम छुपाया हैं!

आसुंओ ने, कभी तन्हाईओं तो कभी शराब ने गम बांटा हैं,
लगता है कभी कभी.. खुदा ने सिर्फ मेरे ही लिए.. मयखाना बनवाया हैं!

लोग पूछ्ते है कि हम ने ये क्या हाल बनाया हैं,
हमने तो सिर्फ इश्क किया था .. अब तो बस उसका ही सरमाया हैं!

ना रोयेंगे... ना तेरा हम कभी इंतज़ार करेंगे,
बस पूछेंगे खुदा से.. दोबारा तुमसे मिले, वो मोड़ कहाँ बनाया हैं?

2 comments:

  1. नज़रों - Eyes
    सरे-आम- Publicaly
    तन्हाईओं - Solitude
    मयखाना - Bar/Liquor place
    मोड़ - Cut on road

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