Wednesday, October 31, 2012

सवाल-ए-फितरत-ए- जिंदगी





जो हुआ, सो हुआ,....पर मेरा सवाल है सब से,
जो हुआ, क्यों हुआ??? ..... क्या ये ज़रूरी हैं!

मिलना-बिछड़ना, खेल है या ये मेल है किस्मत का,
इंसान का दोनों पे ही रोना ... ये रोना, क्या ज़रूरी हैं!

कभी गुस्सा, कभी हंसना.... कभी पाना, कभी खोना,
मिटटी के पुतले का यूँ जीना....... यूँ जीना, क्या ज़रूरी हैं!

कभी पेड़ सी झूमती... तो कभी बर्फ सी पिघलती,
ऐ ज़िन्दगी.. तेरा मुझे नचाना, ये नचाना, क्या ज़रूरी हैं!

हाथ की नियति काम को करना और दिमाग का ... करवाना,
फिर क्यों ऊपर वाले को पूजना... ये पूजा, क्या ज़रूरी हैं!

होश में आऊं तो देखू.... बंद आँखों से सोच पडे,
अपने काल से डरते रहना... ये डरना, क्या ज़रूरी हैं!

1 comment:

  1. सवाल - Question
    बिछड़ना - Seperation
    मिटटी - Soil
    पुतले - Dummy
    बर्फ - Ice
    नियति - Pre-Destined
    दिमाग - Brain
    काल - Death

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