Sunday, August 5, 2012

तसव्वुर-ए-सनम






कुछ भी कर लूँ, तुझे भुला नहीं पाता,
यूँ भी मैं अपनी ही लकीरों से , जीत नहीं पाता !

हर एक शब् , तेरे ही तसव्वुर में जिया करता हूँ ,
मैं चाह कर भी , तेरी चाहत को रोक नहीं पाता !

दर्द उठता हैं , टीस भी हरदम रहती हैं ,
मैं इस दर्द के सिवा .. कुछ पास रख नहीं पाता !

डर लगता हैं कहीं राह में हम टकरा ना जाए ,
मैं इस दिल पे यूँ भी एहतियात नहीं रख पाता !

सलाह मशविरा तो हर ख़ास -ओ -आम ने दे डाला ,
तेरे तसव्वुर में फिर , मैं कुछ और सोच ही नहीं पाता !

दुआओ में हसरत खुद के वजूद की नहीं ... तेरी सलामती की हैं ,
अपने लिए तो मैं आज भी हाथ उठा नहीं पाता !

1 comment:

  1. लकीरों Lines
    शब् Night
    तसव्वुर Memories
    टीस Pain
    एहतियात Care
    सलामती wellness

    ReplyDelete