जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Sunday, August 5, 2012
तसव्वुर-ए-सनम
कुछ भी कर लूँ, तुझे भुला नहीं पाता,
यूँ भी मैं अपनी ही लकीरों से , जीत नहीं पाता !
हर एक शब् , तेरे ही तसव्वुर में जिया करता हूँ ,
मैं चाह कर भी , तेरी चाहत को रोक नहीं पाता !
दर्द उठता हैं , टीस भी हरदम रहती हैं ,
मैं इस दर्द के सिवा .. कुछ पास रख नहीं पाता !
डर लगता हैं कहीं राह में हम टकरा ना जाए ,
मैं इस दिल पे यूँ भी एहतियात नहीं रख पाता !
सलाह मशविरा तो हर ख़ास -ओ -आम ने दे डाला ,
तेरे तसव्वुर में फिर , मैं कुछ और सोच ही नहीं पाता !
दुआओ में हसरत खुद के वजूद की नहीं ... तेरी सलामती की हैं ,
अपने लिए तो मैं आज भी हाथ उठा नहीं पाता !
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लकीरों Lines
ReplyDeleteशब् Night
तसव्वुर Memories
टीस Pain
एहतियात Care
सलामती wellness