Wednesday, August 15, 2012

संग्राम






राहें सुनसान हैं,
लोग अनजान हैं.
मगर , चल रहा हैं सफ़र
कभी तो मंजिल मिलेगी !

थक रहे हैं कदम
ना बचा कोई हमदम
रात हो गयी स्याह और,
कभी तो रौशनी मिलेगी !

वक़्त ने भी कहा,
कुदरत का कहा ....भी नहीं सुना,
करता रहा जो मन करा
कभी तो मेरी जीत होगी!

पानी फिर चढने लगा
धैर्य मेरा टूटने लगा
फिर से थोड़ी और हिम्मत करूं,
शायद तभी पूरी ताबीर होगी!

रोज़ लड़ रहा हूँ मैं,
थोड़ा और कट रहा हूँ मैं ,
देख मेरा बहता लहू और टपकता पसीना ,
शायद मेरी परेशानियाँ भी ... घबरा जाती होगी!

1 comment:

  1. सुनसान - DESOLATE
    अनजान - Strange
    स्याह - Dark
    धैर्य - Patience
    ताबीर - Dreams
    लहू - Blood
    पसीना - Sweat
    घबरा - To bewilder

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