जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Friday, June 29, 2012
कभी आप भी मुझे ऐसे मिलें!
एक इल्तजा थी कि ए खुदा मुझे सुकून मिले,
उस ख्वाहिश के बदले ही मुझे आपके पहले दीदार मिले!
उम्मीद का दामन थामे.. मेरी तरसती उम्मीदें,
रब्बा .. शायद अगले मोड़ पर मुझे नया मेरा रब मिले!
काश ऐसा हो कि हर रोज़ जब मेरी आँख खुले,
मेरा साया.. मेरा हमदम ... मुझे मेरे पास मिले!
चिराग में बंद किसी जिन्नाद सी मेरी खुशियाँ,
दुआ है खुदा से .. बस तेरी मोहब्बत की मुझे तपिश मिले!
मकतब-ए-दुनिया में वैसे तो मैने कुछ नहीं जाना,
मुझे तो सभी रोशन रंग.. बस तेरी उस एक झलक में मिले!
तेरे नखरे, तेरी सादगी... कही ले ले ना जान मेरी,
खुदा-या अगर मिले .. तो मुझे मौत भी उसी की पनाहों में मिले!
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इल्तजा - Request
ReplyDeleteख्वाहिश - Wish
दीदार - Glimpse
चिराग - Lamp
जिन्नाद - Genie - Person With Magical Powers
तपिश - Warmth
मकतब - School