जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Thursday, June 14, 2012
सुरूर-ए-सनम
ज़िन्दगी हर एक मोड़ पर ... एक नया रंग दिखा रही हैं..
पर मुझे .. हर तस्वीर में तू ही नज़र आ रही हैं!!
इसे जादू कहूँ .. या कहूँ .. सुरूर तेरा,
आशिकी, मुझे शोलो में भी .. खिलते तबस्सुम दिखा रही हैं!
कभी कभी कोई बहुत याद आता हैं,
नाम उसका जुबान पे यूँ ही आ जाता हैं....
हम तो उन्हे कभी भूले नहीं थे अपनी यादों में भी,
फिर भी वक़्त अक्सर...उनका ज़िक्र.. हम से कर जाता हैं!
साकी को हो गया गुमान.. कि हम फिर गम-ए-तन्हाई में खो गए...
वो आये पास.. और फिर से जाम भर के चले गए.
बस पल दो पल की यादें ही है "उनकी" बस हमारे पास!
असल ज़िन्दगी तो "वो" अपने साथ ले के चले गए!!
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तबस्सुम - Flower
ReplyDeleteगुमान - Confusion
असल - Real