Wednesday, May 30, 2012

बिन तेरे सनम





मैं जब भी कभी उदास होने लगता हूँ,
मैं आंखें मीच कर , तेरा दीदार कर लेता हूँ !

हवा, पानी, घटा और मिटटी , सावन में सब मिल जाते है,
मैं भी ऐसे ही तुझ से मिलने की ख्वाहिश रखता हूँ !

तेरे नाम के सदके ले लेकर , मैं मंदिर मस्जिद जाता हूँ ,
मैं तेरे अरमानो का दम लेकर .. हर पेड़ से मन्नत बांधता हूँ!

मुश्किल तो एक ही हैं .. कि दीदार-ए-सनम को हम तरस गए ,
तेरी तस्वीर को अब मैं अपना हमसाया .. जो मानता हूँ!

सोचा था कुछ हसीं पलो के लिए .. कुछ आंसू बचा के रख लेंगे,
गिनती तो अब मैं भूल गया .. बस राहो पे निगाह में रखता हूँ!

जानता हूँ , तू मेरा नसीब नहीं है .. फिर भी
मैं अक्सर खुदा से .. तेरे लिए .. तकरार किया करता हूँ!

1 comment:

  1. मीच Closed
    दीदार To see
    घटा Cloud
    मिटटी Soil
    ख्वाहिश Wish
    मन्नत Votive
    तकरार Fight

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