जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Sunday, April 17, 2011
बस एक ... तू!
इश्क के नाम से डर लगता था,
अब तो बिन इसके .... जीना ही एक बिमारी हैं!
पल पल का साथ कर अता ए मौला,
मेरे लिए तो ..यही .. दुनिया सारी हैं!
देख के उनको जो मिलता है सुकून,
एक इसी के लिए तो ....ये दुनिया मारी हैं!
कहीं रुका.. तो लगा ये ख्याल था वाजिब,
तुझी पे तो उसने ये दुनिया वारी हैं!
चिरागों से अब मुझे क्या लेना..
तेरा संग ही... अब रौशनी हमारी हैं!
नाम तेरा ले के जो मुझ पे हंसते हैं,
वो नहीं.. उनकी जुबान हमे प्यारी हैं!
तुझे बनाया उसने.. इसीलिए हम सजदा करते हैं,
वरना अपनी नहीं "उस" से कोई यारी हैं!
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खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteमौला God
ReplyDeleteसुकून Releif
ख्याल Thought
वाजिब Correct
चिरागों Lamps
सजदा Worship