Sunday, February 13, 2011

अदायगी-ए-इश्क-ए-महसूल




महसूल है एक हम पर, जिसे हमको चुकाना हैं,
जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!

गाह-ए-बगाहे नादानी में, हम दिल आपसे लगा बैठे,
गफलत का नहीं... ये मेरे दिल का फ़साना हैं!
...जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!

इजतिराब हैं ये मफर का, बस एक बार सुन लीजिये,
शायद ये लगे तुमको... ये कुछ जाना-पहचाना हैं!
...जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!

कहती है ये दुनिया.... हम दोनों है अलग-अलग,
मुझे अपने आफताब-ए-नसीब को ..... तेरे सितारों से मिलाना है!
...जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!

हैं मेरी भी एक हस्ती, हैं मुझको भी थोड़ा गुमान..
मुझे साथ तेरे चल के, बस थोड़ा सा इतराना है!
...जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!

मुत्फरीक अशरो से मैं क्या हाल-ए-दिल बयान करू...
हमे तो आपको किस्सा-ए-जिंदगानी सुनाना हैं!
...जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!

महसूल है एक हम पर, जिसे हमको चुकाना हैं,
जानता है ये जहां जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!

1 comment:

  1. महसूल tax
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    इजतिराब feeling of sufocation/tadapna
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    आफताब-ए-नसीब Moon of fortune
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