जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Sunday, February 13, 2011
अदायगी-ए-इश्क-ए-महसूल
महसूल है एक हम पर, जिसे हमको चुकाना हैं,
जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!
गाह-ए-बगाहे नादानी में, हम दिल आपसे लगा बैठे,
गफलत का नहीं... ये मेरे दिल का फ़साना हैं!
...जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!
इजतिराब हैं ये मफर का, बस एक बार सुन लीजिये,
शायद ये लगे तुमको... ये कुछ जाना-पहचाना हैं!
...जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!
कहती है ये दुनिया.... हम दोनों है अलग-अलग,
मुझे अपने आफताब-ए-नसीब को ..... तेरे सितारों से मिलाना है!
...जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!
हैं मेरी भी एक हस्ती, हैं मुझको भी थोड़ा गुमान..
मुझे साथ तेरे चल के, बस थोड़ा सा इतराना है!
...जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!
मुत्फरीक अशरो से मैं क्या हाल-ए-दिल बयान करू...
हमे तो आपको किस्सा-ए-जिंदगानी सुनाना हैं!
...जानता है ये जहाँ जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!
महसूल है एक हम पर, जिसे हमको चुकाना हैं,
जानता है ये जहां जो किस्सा, वो आपको बतलाना हैं!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
महसूल tax
ReplyDeleteगाह-ए-बगाहे unknowingly
इजतिराब feeling of sufocation/tadapna
मफर refugee
आफताब-ए-नसीब Moon of fortune
सितारों Stars
हस्ती Personality
गुमान misunderstanding
मुत्फरीक unwanted