Tuesday, October 15, 2013

मेरी लगन





अब कैसे बताऊँ, तू मेरी क्या लगती हैं?
तू मुझे कुछ-कुछ.. अपनी सी लगती हैं!

तेरा वो.. हर छोटी-छोटी बात पे मुस्कुराना,
इन ही से तो ये दुनिया.. हमे हसीं लगती हैं!

तेरे होने से दुनिया थोड़ी अलग सी लगती हैं,
वरना, ये बस एक तनहा भीड़ सी लगती हैं!

होंगे रुखसत तो अलविदा ना कहना,
तेरे होने के ख्याल से ही ज़िन्दगी.. ज़िन्दगी लगती हैं!

हर नए बसंत के नये पत्ते.. नये नये फूलों की तरह,
तेरी हर मुलाक़ात, मुझे हर रोज़ .. एक नयी मुलाकात सी लगती हैं!

1 comment:

  1. मुस्कुराना - Smile
    तनहा - Lonely
    रुखसत - Goodbye
    ज़िन्दगी - Life
    मुलाकात - Meeting

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