जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, October 15, 2013
मेरी लगन
अब कैसे बताऊँ, तू मेरी क्या लगती हैं?
तू मुझे कुछ-कुछ.. अपनी सी लगती हैं!
तेरा वो.. हर छोटी-छोटी बात पे मुस्कुराना,
इन ही से तो ये दुनिया.. हमे हसीं लगती हैं!
तेरे होने से दुनिया थोड़ी अलग सी लगती हैं,
वरना, ये बस एक तनहा भीड़ सी लगती हैं!
होंगे रुखसत तो अलविदा ना कहना,
तेरे होने के ख्याल से ही ज़िन्दगी.. ज़िन्दगी लगती हैं!
हर नए बसंत के नये पत्ते.. नये नये फूलों की तरह,
तेरी हर मुलाक़ात, मुझे हर रोज़ .. एक नयी मुलाकात सी लगती हैं!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मुस्कुराना - Smile
ReplyDeleteतनहा - Lonely
रुखसत - Goodbye
ज़िन्दगी - Life
मुलाकात - Meeting