Saturday, February 16, 2013

वो बच्चा जिसका आंसू गिरा




क्या तुमने अपनी हसीँ यों जाया की हैं?
तो क्यों उस मासूम के हाथो को छलनी करवाया!

अपनी तो हर जिद के लिए तुमने दुनिया झुका दी,
फिर क्यों तुमने उसकी दुनिया से बचपन निकलवाया!

वो भी एक सपना लिये जागता था... एक विश्वास रखता था,
क्यों तुमने उसकी उम्मीदों को उसका ही खोया ख्वाब बना दिया!

फितरत में उसकी कुछ नादानियां थी.. ज़ेहन में कुछ शरारते थी,
पर तुमने सबको हटाकर, उसकी हथेलियों .. कंधो पे बोझ डाल दिया!

उसका मन था परदे सा, बिना किसी रंग या तस्वीर का,
तुमने क्यों उस परदे पे, उसी का स्याह रंग उड़ेल दिया!

अपनी हंसी को तुमने ख़ुशी का एहसास.. एक याद बना के रखा,
पर उसके हंसने को उसकी मजबूरी का तमाशा बना दिया!

अपनी औलाद के एक जिद्दी आंसू के लिए तुमने तारे भी ज़मी-दोज़ कर दिए,
और किसी मासूम की आत्मा में तुमने आंसूओ के सैलाब पैदा कर दिया!

अपने रब से तुमने सदा अपनों की सलामती मांगी,
और .. उस मासूम का तू ... खुद ही खुदा बन गया!

1 comment:

  1. मासूम - Innocent
    जिद - Insistance
    बचपन - Childhood
    ख्वाब - Dream
    फितरत - In habit
    नादानियां - Ignorance
    ज़ेहन - Mind
    शरारते - Naughty acts
    स्याह - Dark
    औलाद - Child
    ज़मी-दोज़ - Buried under ground
    आत्मा - Soul
    सलामती - Well wishes

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