जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, December 11, 2012
दुल्हन
एक ज़िन्दगी, पाती कुछ ख़ास सी,
वो लम्हा, वो खोती कुछ एहसास सी!
ज़िन्दगी देने वालो ने जिसे एक अमानत माना,
उस अमानत का फ़र्ज़ .. चली अता करने, वो एक ताबीर सी!
पुराने रिश्ते, पुराने घर की कुछ यादें, जो दिल में बसी हैं,
लेकर उन्हें चल पड़ी .. बनाने नयी कहानी, वो एक किताब सी!
उन पुराने रिश्तो से गले लगकर, और कुछ चावल बांटकर,
लेकर विदा.. चली वो नए घर.. एक तराशे हुए बुत सी!
नयी हवा, नए माहौल में खुद-ब-खुद उसे ढलना था,
बिताती वो आज ज़िन्दगी, जैसे दूध में घुली चीनी सी!
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ज़िन्दगी - Life
ReplyDeleteलम्हा - Moment
अमानत - Other's Belonging
ताबीर - Interpretation of Dreams
रिश्ते - Relations
बुत - Idol
माहौल - Enviornment
Wah bhai wah .......... superb, lagta hai tumhari shaadi ka waqt kareeb aagaya hai :)
ReplyDelete-Abdul