जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Friday, July 15, 2011
दुनिया से हम ऐसे मिले
हो चाहे कितने भी गम, दिल में,
हम जब भी मिले....खुल के मिले!
दोस्त क्या.. हमने तो दुश्मनो को भी हमसफ़र बनाया,
जलने वाले हमेशा मेरी नज़रो के पीछे जले!
माना कि उसने मुझे दो फौलाद नहीं दिए,
गिला नहीं क्योंकि नसीब में .. मुझे उससे सिर्फ फूल मिले!
लिखी बिजली के तारो सी उसने किस्मत मेरी,
मुझे बस झटके और दुसरो को रौशनी मिले!
जख्मो से बैर नहीं, दोस्ती हैं मेरी अब इन से
ये जब भी मिले... मुझे मेरे अपनो से मिले!
कुछ ऐसी थी हस्ती उनकी कि आज तक उन्हें भुला नहीं सके,
और वो हमेशा ... हम से गैरो की तरह मिले!
कोई दोजख के डर से.. तो कोई जन्नत की चाह में मर रहा हैं,
हमको क्या लेना किसी से.. हमें दोनों.. इसी जहां में मिले!
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गम Sorrow
ReplyDeleteफौलाद Element stronger than iron
नसीब Destiny
बिजली Electricity
किस्मत Desctiny
झटके Shocks
बैर Differences
हस्ती Personality
दोजख Hell
जन्नत Heaven