Friday, July 5, 2013

तेरा-मेरा




हे राम, या अल्लाह, ओ गुरु जी, Oh Jesus
वो तो बस एक ही है, पर इंसान कहता है... ये तेरा है, वो मेरा हैं!

दिन रात की ये कशमकश, ता-उम्र ढोयी कठिनाईयाँ,
ना चैन देखा, ना नींद अपनी... बस कहते रहे, ये तेरा है, ये मेरा है!

छोड़ ना सके ताउम्र, छोटी-छोटी चीज़ों की ज़द्दो-जेहद,
वो तो मौत पर भी अपनी लड़ते रहे... ये तेरा है, ये मेरा है!

लड़-झगड़ के हमने कर दिए, एक ज़मीन के कई टुकड़े,
अब मिल के रोते है उस कोने पर... जो न तेरा है, ना मेरा है!

बरसात का ये मौसम फिर भिगोने चला आया,
आओ चले खेले उस पानी में... जो ना तेरा है, ना मेरा हैं!

आओ छोड़ के कि क्या तेरा है, क्या मेरा हैं,
दुआ करे उसके लिए... जो ना तेरा हैं, ना मेरा हैं!

1 comment:

  1. इंसान - Human
    कशमकश - dilemma
    कठिनाईयाँ - Problems
    ताउम्र - Whole life
    ज़द्दो-जेहद - Struggle
    बरसात - Rainy Season
    दुआ - Pray

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