Saturday, June 22, 2013

चाहत की इंतिहा






तुझे कुछ इस कदर अपने दिल से मांग के चाहा हमने,
अपने अधूरेपन के हर आखिरी हिस्से से तुम्हे चाहा हमने!

आँखों के आँसू ... तेरी यादों में सब सूख चुके थे,
लहू को आंसू बनाकर, फिर से यादो को गले लगाया हमने!

दिल की बस्ती, गम का मंज़र और मैं भटकता आवारा,
तेरे नाम का सहारा लेकर, फिर बेखुदी का कदम बढाया मैंने!

किसी ने किनारा किया तो किसी ने सिर्फ रंग दिखाए,
तेरे नाम का सहारा लेकर, उन सबसे किनारा किया हमने!

अब वो भी नहीं रहा मेरा, जिसे सब खुदा कहते हैं,
होगा भला सोच के.. इस बार सदके में तेरे नाम को अपनाया हमने!

1 comment:

  1. कदर - Limit
    अधूरेपन - Emptiness
    आखिरी - Last
    मंज़र - Scenario
    आवारा - Maverick person
    किनारा - Sidelined
    सदके - Prayer

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