जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Friday, November 23, 2012
डर
अक्सर किनारे से, लहरों और साहिल के पत्थरों को घंटो देखा करता था,
उन्ही की इस लड़ाई से, अब मैं दरिया में जाने से डरता हूँ!
कोई तो बता दे कि अब मेरी मंजिल कहाँ है,
इतना भटका हूँ कि अब घर जाने से डरता हूँ!
उसने तो सही ही कहा था, कोई झूठ नहीं ज़माने से,
जो हुआ हश्र उसका, देख के ... मैं सच से डरता हूँ!
इतना टूटा हूँ कि अब जुड़ने से डर लगता हैं,
शिकायत नहीं मुझको जोड़ो से, पर मैं इन जोड़ो के बीच की दरारों से डरता हूँ!
डर है अब के मैं जो टूटा ... दोबारा ना जुड़ पाऊंगा !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
लहरों - Waves
ReplyDeleteसाहिल - Shore
पत्थरों - Stones
दरिया - Sea
मंजिल - Destination
भटका - To Stray
ज़माने - World
हश्र - Outcome
शिकायत - Complaint
जोड़ो - Joints
दरारों - Leakages
nice one!!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDelete