जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Monday, March 7, 2011
एक रात - आपकी यादों के साथ
आज फिर रात को हम इक इंतज़ार में जग गए,
अपने सारे ख्वाबो को आपकी यादो की नज़र कर गए..
जिन कश्तियों से थी, साहिल पे पहुचने की उम्मीद,
उन कश्तियों को छोड़, हम इश्क के दरिया में कूद गए
नहीं जानते वो कि क्या कसक-ए-मोहब्बत होती हैं,
सही भी ना जाए, वो उल्फत क्या होती हैं......
जो ना जान पाओ, तो वापिस चले आना,
हम ही बता देंगे कि क्या-क्या नसीहत-ए-इश्क होती हैं!!
उनकी आँखों में हम सारा जहां मुकम्मल देखते हैं,
वो न भी हो, तो हम यादो के साथ रहगुज़र कर लेते हैं..
मेरे हर अफसाने से, इस तरह जुड़ गयी हैं उनकी यादें,
अब अपने अक्स में भी हम उनका ही चेहरा देखते हैं!
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इंतज़ार Wait
ReplyDeleteख्वाबो Dreams
साहिल Shore
कश्तियों Boats
इश्क के दरिया Sea of Love
कसक-ए-मोहब्बत Pain of Love
नसीहत-ए-इश्क Advice of Love
मुकम्मल Complete
रहगुज़र acompanied
अक्स shadow/image