जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Sunday, January 9, 2011
मुझे अब भी याद है!
अपने ज़ेहन की वो कश्मकश, मुझे अब भी याद है,
आँखों में लिए कतरा.... लबो से मुस्कुराना याद हैं!
इश्क की बारीकिया, वो पेट की तितलियाँ,
तेरे रूप का पल पल निखरना... मुझे याद हैं!
हम खुश भी थे... वो एक मुकम्मल शाम थी,
आखिर में उसके, आपसे जुदा होना .... याद हैं!
दिल- मुझे मेरे इश्क के फायदे बता रहा था,
ज़ेहन का मेरी ठीक से खबर लेना भी याद हैं!
प्याला-ए-शराब क्या मुझे ... कही ले जाएगा,
मुझे तो तेरे छुए पानी की मदहोशी... बस याद है!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कश्मकश Fight of views
ReplyDeleteकतरा Drop
बारीकिया Minute thing
तितलियाँ Butterflies
निखरना To evolve more
मुकम्मल Complete
फायदे Benefits
ज़ेहन Brain
प्याला-ए-शराब Glass of wine
मदहोशी unconscious