Monday, December 13, 2010

उस मुलाक़ात.... की चाहत!




मैं बस उन मदहोश आँखों में खोना चाहता था,
उन खामोश निगाहों से बातें करना चाहता था!

बोल तो बहुत थे मेरे पास, कहने को.. सुनने को!
पर .... मैं सिर्फ एक एहसास बताना चाहता था!

दिल में गुबार और होठो पे खामोशी रखी मैने,
मैं अपनी आरजूओ का ज्वालामुखी जलाना चाहता था!

तेरी हंसी का तो मैं हमेशा से ही कायल रहा,
मैं बस उसे अपना मुकद्दर बनाना चाहता था!

तेरी मसरूफियत ने ही तो मुझे मजबूर कर दिया,
वरना मैं तुझे अपनी मसरूफियत बनाना चाहता था!

पलकों के आंसू तो कब के सूख चुके थे,
मैं अब.... बस दिल का चैन पाना चाहता था!

1 comment:

  1. मदहोश Drunken
    खामोश निगाहों Silent Eyes
    एहसास Feeling
    गुबार Feeling constrained
    आरजूओ का ज्वालामुखी Volcano of Emotions
    मुकद्दर Fortune
    मसरूफियत Being Busy

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