जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Monday, February 15, 2010
इंतिहा
मेरे इंतज़ार की अब इंतिहा हो चली हैं..
पर मेरे इश्क का फैसला अभी बाकि हैं!
कहता था मैं "हमसाया", अब उनसे इकरार चाहता हूँ...
पर मेरी मुफलिसी मुझे फिर उनके साथ ले चली हैं!
वो हैं हमारे, अब ये उनको लबो से सुनना चाहता हूँ,
पर ज़बान ये मेरी अब भी उनका ही कलमा पढ रही हैं!
जान जाता अगर उनका रूह-ए-तिलिस्म, ये खता ना मैं कभी करता,
अब इसके बदले में, धड़कन उनका साथ मांगने चली हैं!
हिज्र-इ-सनम से डरता हूँ, इसीलिए तेरी एक "हाँ" की दरकार हैं.....
पर आप की "ना" के खौफ से, मेरी धडकने तेज़ हो रही हैं!
ए बानो, एक एहसान कर... चाहे हाँ कर या ना कर.....
पर जब भी तू कुछ कहे...... ये कहना कि फैसला अभी बाकि हैं!
आशिकों से ना पूछो, क्या मज़ा हैं इंतज़ार में,
इश्क से ज्यादा मस्ती तो हमे इंतज़ार में मिल रही हैं!
मेरे इश्क का फैसला अभी बाकी हैं!
और मेरे इंतज़ार की अब कोई इंतिहा....नहीं हैं!
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इंतज़ार Wait
ReplyDeleteइंतिहा Limit
इकरार To accept
मुफलिसी Helpless condition
कलमा Prayer
रूह-ए-तिलिस्म Magic of someone
खता Mistake
धड़कन Heartbeat
हिज्र-इ-सनम Separation
दरकार In wait of
खौफ Fear
फैसला Decision