सोचा जो तेरे बारे में, उम्र कुछ बढी सी लगी,
लगा यूँ... जैसे पल भर में एक सदी सी गुज़र गयी!
जज़बातो का समंदर, यादों का बवंड़र..
और उस पर तू यूँ... मुस्कुरा के चली गयी!
आँखों की जुबान.. शायद आंसूओ को ही कहते हैं,
ख़ुशी हो या गम... हर एहसास... बस ये छलक कर कह गयी!
कल यूँ ही तकदीर और वक़्त राहो में टकरा गए,
वक्त तो नाराज़ दिखा... और तकदीर बस... चिढा के निकल गयी!
इकरार-इनकार तेरा... मेरी कशमकश नहीं,
तेरी बन्दिगी... अब.. मेरी ज़िन्दगी बन गयी!
ज़िन्दगी एक लम्बी सड़क... सफ़र बदगुमानी का,
उसमें तेरी याद... कुछ लम्हों की सेहर कर गयी!
सदी Century
ReplyDeleteजज़बातो Emotions
समंदर Sea
बवंड़र Storm. Cyclone
जुबान Voice
एहसास Feelings
तकदीर Fate
वक़्त Time
इकरार Agree
इनकार Not Agree
बन्दिगी Worship
बदगुमानी Undestined
सेहर Evening