Friday, October 7, 2011

यादों की सेहर

सोचा जो तेरे बारे में, उम्र कुछ बढी सी लगी,
लगा यूँ... जैसे पल भर में एक सदी सी गुज़र गयी!

जज़बातो का समंदर, यादों का बवंड़र..
और उस पर तू यूँ... मुस्कुरा के चली गयी!

आँखों की जुबान.. शायद आंसूओ को ही कहते हैं,
ख़ुशी हो या गम... हर एहसास... बस ये छलक कर कह गयी!

कल यूँ ही तकदीर और वक़्त राहो में टकरा गए,
वक्त तो नाराज़ दिखा... और तकदीर बस... चिढा के निकल गयी!

इकरार-इनकार तेरा... मेरी कशमकश नहीं,
तेरी बन्दिगी... अब.. मेरी ज़िन्दगी बन गयी!

ज़िन्दगी एक लम्बी सड़क... सफ़र बदगुमानी का,
उसमें तेरी याद... कुछ लम्हों की सेहर कर गयी!

1 comment:

  1. सदी Century
    जज़बातो Emotions
    समंदर Sea
    बवंड़र Storm. Cyclone
    जुबान Voice
    एहसास Feelings
    तकदीर Fate
    वक़्त Time
    इकरार Agree
    इनकार Not Agree
    बन्दिगी Worship
    बदगुमानी Undestined
    सेहर Evening

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