जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Sunday, September 4, 2011
तेरी इनायत
अधूरे ख़्वाबों के शहर में, एक वो ख्वाब याद हैं,
चूर हुए आईने में भी .. एक तनहा अक्स... आबाद हैं!
ज़ख़्म तो बस एक ही था, मेरे मन पर,
शायद यही मेरे हर, बिखरे सवाल का जवाब हैं!
आंसू, तन्हाई... और शिकवे.. सब ही हैं मेरे पास,
तेरी हैं ये यादें हैं, ये मेरे तोहफे नायाब हैं!
ख़ुशी तेरी हंसी की, नमक तेरे गमो का,
वो तेरा सुरूर है.. जो बनाता मुझे लाजवाब हैं!
ढूँढू जो मैं खुद को, तो एक साया पाता हूँ,
जितना हूँ मैं खोता.... उतना... बढता तेरा शबाब हैं!
ज़िन्दगी की धूप में,तेरा आना.. एक पनाह की तरह,
अब और क्या उस से मांगू... तू मेरा सबसे बड़ा सबाब हैं!
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ढूँढू जो मैं खुद को, तो एक साया पाता हूँ,
ReplyDeleteजितना हूँ मैं खोता.... उतना... बढता तेरा शबाब हैं!
बहुत खूबसूरत गज़ल
ख़्वाबों Dreams
ReplyDeleteज़ख़्म Wound
बिखरे Scattered
सवाल Question
शिकवे Issues/Problems
तोहफे Gifts
नायाब Unique
सुरूर Passion
लाजवाब Uncomparable
शबाब Beauty
पनाह Shelter
सबाब Virtue, Holy