जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, December 15, 2009
तन्हाई का मज़ा
कौन कहता है तन्हाई सजा होती है..
आशिकों से पूछो, ये एक अलग मजा देती है
पूछे कोई उस मोम से उसके जलने का कारण,
क्यों धागे के साथ जलकर, वो सबको रौशनी देती है!!
जब दिल टूटता है, एक पल को दुनिया वीरान लगती है
हर शोर में उनकी आवाज़ और हर जगह उनकी आँखें दिखती है..
यही बातें तो आपको हमारी दुनिया में वापस ले आती है
ना हो कर भी सामने, आप हमेशा निगाहबान बनी रहती है.
पैमाना नहीं है हाथ में, फिर भी हम मदहोश इस कदर है
दुनिया है घूम रही, पर हम उस-से बेखबर है..
हम तो हर ख़ास-ओ-आम में बस उनका ही चेहरा देखते है
जो नहीं है उन जैसा, दिखाओ....... ऐसा कोई शख्स किधर है???
आप पहले थे मेरे सनम, अब खुदा हो गए,
मेरे लिए तो आप रूहानी हो गए!!
आपका जाना एक मज़बूरी था और आना आपकी इच्छा,
पर इस बीच में, आप मेरे लिए मेरी इबादत हो गए.
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तन्हाई - loneliness
ReplyDeleteआशिकों - lover
मोम - candle
धागे - thread
वीरान - destructed
निगाहबान - One who care for you.
पैमाना - glass of liquor
मदहोश - unconsious
ख़ास-ओ-आम - in every common thing
शख्स - man
रूहानी - from another world
इबादत - prayer