
एक अरसा हुआ, आ के देखो , हम कैसे दिखते हैं ,
हम आज भी , हर अक्स में .. बस तुझे ही देखते हैं !
तुमने हर एक बात , कानो से सुनी ... आँखों से देखी हैं ,
हम हर एक अलफ़ाज़ को आज भी दिल से देखते हैं !
ज़िन्दगी की बाज़ी में , कभी जीते तो कभी हम हारे हैं ,
तुमसे कितना हारे -जीते ... आज ये हिसाब देखते हैं !
कहते है , आँखें ही दिल की जुबान होती हैं ,
आओ करीब हमारे , आज इस किताब के अलफ़ाज़ देखते हैं !
हमको दीवाना बताकर , बुत पत्थर मार के चले गए ,
आँखों से किन के सावन बरसे , गिनती उनकी देखते हैं !
कहते रहे कई अफ़साने , मुझे राहे बताते रहे ,
हम आज तलक अपनी नहीं , अपने जाम की चाल देखते हैं !
अलफ़ाज़ - Words
ReplyDeleteजुबान - Tongue
किताब - Book
बुत - Stone
सावन - Rain/Month of Rain
जाम - Peg