
देख के तुमको, मैं खुदा का मुरीद बन गया,
मंजिल अपनी छोड़, मैं तेरी राहो का हमसफ़र बन गया!
कड़ी से कड़ी मिली, यादों की ज़ंजीर बन गयी,
बिन कहे, मेरा एक फ़साना बन गया!
राह-ए-उल्फत के फ़साने का कोई इरादा नहीं था,
बस आप को देखा तो, जीने का बहाना बन गया!
कभी खुलती... कभी बंद होती.. ये मेरी निगाहें,
नज़रो के समंदर का, तेरा चेहरा किनारा बन गया!
पहले मैं ज़मी-दोज़.. बेसबब सा .. आवारा सा,
तेरे आने से मेरा भी, एक हसींन मुकाम बन गया!
खुदा भी हैरान हैं, तेरी ये शख्सियत देखकर,
उसे तो पता ही नहीं चला.. कैसे ये दूसरा आफताब बन गया!
मोहसिन तो मेरे बहुत हैं, कई हैं मेरे चाहने वाले....
पर बना के तुझको... वो ऊपर वाला ..... मेरा खुदा बन गया!
मुरीद Follower
ReplyDeleteकड़ी Small peices
ज़ंजीर Chain
फ़साना Story
राह-ए-उल्फत Path of Love
ज़मी-दोज़ Under the Ground
बेसबब Without intention
शख्सियत Personality
आफताब Moon
मोहसिन Well wisher