
तेरी बोलती आँखें और उनकी वो अनसुलझी पहेलियाँ,
मैं आज भी तेरी मासूमियत को याद करता हूँ!
मेरी भूलो से बढकर क्या गुनाह हुआ होगा,किसी से,
मैं आज भी खुद को तेरे सवाबो से घिरा पाता हूँ!
वक़्त का पहिया, लगता है बहुत दूर निकल आया हैं,
पर मैं खुद को अपने ही मांझी के साथ बंधा पाता हूँ!
तेरी यादों का पौधा, आज वट वृक्ष जान पड़ता हैं,
उसकी लताओं में खुद को अब मैं उलझा हुआ पाता हूँ!
जब कभी भी तुझे भुलाने की कोशिश करना चाहता हूँ,
मैं हमेशा उन सफ़ेद फूलो को सामने पाता हूँ!
महफ़िलो, मुलाकातों में काफी बढ गयी हैं मसरूफियत मेरी,
तन्हाईयो में पर, सिर्फ तुझे ही क्यों पास पाता हूँ?
.........मैं आज भी तेरी मासूमियत को याद करता हूँ!
अनसुलझी Unsolved
ReplyDeleteपहेलियाँ Riddles
मासूमियत Cuteness
सवाबो Good deeds
मांझी Past
वट वृक्ष Banyan tree
लता Branches
महफ़िलो Parties
मुलाकातों Meetings
मसरूफियत Busy