अभी अभी मेरे दिल में ये ख्याल आया हैं,
आज फिर तेरी तारीफ़ में कुछ कहने का ख्याल आया हैं !
फासले तो हमेशा थे और हमेशा ही रहेंगे,
आज दिल से मगर दूरियां निकालने का ख्याल आया हैं!
दूर रह के भी आप सदा दर्द-ए-दिल बने रहे,
आज इस दर्द को अपना कर,आपका रकीब बनने का ख्याल आया हैं!
शीशे में छनकती ...आब का ज़माना दीवाना हैं,
इसीलिए .... शीशा-ए-दिल में आपको उतारने का ख्याल आया हैं!
किस्सा,कहानियां, नज़राने... बहुत हो चुके अफसाने,
आज हाल-ए-दिल आपको सुनाने का ख्याल आया हैं!
ए वक़्त, हो सके तो ज़रा सा तू थम जा,
उन पुरानी यादों का दिल में आज तूफ़ान आया हैं!
गिर रहा हूँ मैं राहो में .. और फिर तेरी यादो में,
उठने का नहीं... और गहरा उतरने का ... आज ख्याल आया हैं!
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (11/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
बहुत खूबसूरत ख्याल
ReplyDeleteअच्छा शब्द चयन और भाव |बधाई
ReplyDeleteआशा