
छू लेने दो मुझको बोतल, दो चूमने मुझे पैमाना,
मुझे अब हुस्न वालो की निगाहों से डर लगता हैं!
इश्क की ना छेडो, हमे उसके नाम सा भी डर लगता हैं,
कही पैमाना ना मेरा छलक जाए, अब इस बात से डर लगता हैं!
इश्क-ए-दरिया में थे कूदे, और चूर चूर हो कर लौटे,
मुझे अब इसकी, हर आती लहर से डर लगता हैं!
जानने पहचानने में उनको, एक लंबा दौर गुजर चुका हैं,
अब हर नए चेहरे से मुझे डर लगता हैं!
दिल का आइना, आज भी उनकी तस्वीर कैद किये बैठा हैं,
इंतज़ार की इंतिहा ना हो जाए, इस बात से डर लगता हैं!
कवि हूँ मैं, नज़रो की बजाय कलम से आंसू बहाता हूँ,
कही ये कलम ही ना डूब जाए, इस बात से डर लगता हैं
बोतल - Bottle
ReplyDeleteपैमाना - Peg
हुस्न - Beauties
आइना - Mirror
इन्तेहा - Limit