
तुम मुझे मेरे सीने में धड़कन सी लगती हो.
हो कर भी दूर, तुम मुझे करीब ही लगती हो!
तुम आफरीन..मेहफिशा...किसी कली सी...
तुम मुझे किसी और जहां की लगती हो!
तुम जाड़ो के मौसम में, एक लिपटी रजाई सी....
और गर्मी में तुम मुझे,"पुरवाई" सी लगती हो!
देखू तुझे तो, मैं सारी कायनात भूल जाऊ,
तुम मुझे रब का दिया एक तोहफा हसीन लगती हो!
लोग जा जा के मस्जिद, भी ना पा सके 'उस' को,
तुम मुझको बस.... उस जैसी लगती हो!
कैसे मैं बताऊ तुम्हे, तुम मुझे कैसी लगाती हो?????
तुम बस मुझे ... मेरे सीने की धड़कन सी लगती हो!