जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, April 30, 2013
गम-ए-यार
वो आज फिर आये ... और नहीं भी आये,
वो ना आये मेरी नज़र में ,पर मेरी यादों में लौट आये!
जाने क्या मजबूरी रही होगी उनकी भी,
उनकी खुशबु तो मेरी बज़्म में आई ,पर वो नहीं आये!
कहने को तो वो भी दुनिया की खुश-फ़हमी बढा रहे हैं,
किसने देखे ... नाम मेरा आने पर , आँखों में उनकी कितने मोती आये!
अपनी तन्हाई को मैं उनका मुझ पर एहसान मानता हूँ,
सुना है कि मेरे हालात से वो हर लम्हा इत्तेफाक रखते आये!
उनको भी तकलीफ होती होगी , इन जुदाई के लम्हों में,
मेरा हिस्सा तो मेरा है ही , जाने उनके हिस्से में कितने गम आये!
Saturday, April 20, 2013
मेरा इश्क - मेरे गम
नज़रों का क्या कसूर, यूं ही ये छलक आई हैं,
कसूर तो उनका है, जिन्होंने दिल दुखाया हैं!
उसने तो सरे -आम अपनी ख़ुशियाँ मनाई हैं,
उसी की ख़ुशी के लिए, हमने गम छुपाया हैं!
आसुंओ ने, कभी तन्हाईओं तो कभी शराब ने गम बांटा हैं,
लगता है कभी कभी.. खुदा ने सिर्फ मेरे ही लिए.. मयखाना बनवाया हैं!
लोग पूछ्ते है कि हम ने ये क्या हाल बनाया हैं,
हमने तो सिर्फ इश्क किया था .. अब तो बस उसका ही सरमाया हैं!
ना रोयेंगे... ना तेरा हम कभी इंतज़ार करेंगे,
बस पूछेंगे खुदा से.. दोबारा तुमसे मिले, वो मोड़ कहाँ बनाया हैं?
Wednesday, April 10, 2013
मेरी आवारगी और मैं

कुछ ऐसी मेरी आवारगी है, जो शायद ही किसी के अरमान पूरे कर सके,
वरना हम तो बस इसीलिए सांस लेते है... कि बस एक उसूल पूरा कर सके!
बेपरवाह..बेपनाह.. बेइन्तिहा, इश्क किया जीवन ने,
शायद कोई कमी रह गयी थी कि अपने इश्क का वजूद ना पूरा कर सके!
हमने जिसे नजरो से पूजा, दिल से अपनाया था कल तलक,
आज.. कह तो दिया उन्हें खुदगर्ज़.... पर हरजाई ना मान सके!
आज भी नाम उनका आते ही, दिल में एक उम्मीद सुलग जाती हैं,
बना के भी खुद को आवारा, हम इस दिल को आवारगी ना सिखा सके!
मिलेंगे जो किसी मोड़ पे तो कोई शिकवा ना होगा लबो पे,
बस यही पूछेंगे कि बिन मेरे वो आज तलक जी कैसे सके!
बस यही आखिरी तमन्ना है मेरी .. मेरी कब्र के आखिरी मसीहाओं से,
मेरी आखिरी मिटटी जब भी उडे, उसे उनकी हथेलियाँ नसीब हो सके!
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