
आज मैं फिर आपसे कह रहा हूँ!
हर अलफ़ाज़ मे अपने एहसासों को पिरो रहा हूँ!
मेरी हर बात को दिल से सुनियेगा , दिल से महसूस कीजिएगा ,
मैं आपसे आज इस दिल की बात , उसी की जुबानी कह रहा हूँ!!!
जब से है देखा आपको , मैं कुदरत का दीवाना हो गया ,
छोड़ के हर खुबसूरत चीज़ , मैं आपका कायल हो गया ,
वो लोग जो समझते है ख़ाक मेरी दीवानगी को ,
उन्हें क्या पता , मैं आकाश से भी उपर जा रहा हूँ…
आज मैं फिर आपसे कह रहा हूँ!.....हर अलफ़ाज़ मे अपने एहसासों को पिरो रहा हूँ!
मेरा अक्स भी अब मुझसे खफा होता जा रहा है ,
तेरी तरफ मेरे लगाव को अपना दुश्मन मान रहा है
मैं भी इस तकलीफ को समझता हू ,
मैं अब खुद को , खुद से दूर , और तेरे पास पा रहा हूँ…
आज मैं फिर आपसे कह रहा हूँ!.....हर अलफ़ाज़ मे अपने एहसासों को पिरो रहा हूँ!
फिर भी मैं , तुझसे ये अलफ़ाज़ कहने से डरता हूँ!,
तू मुझसे बिछड़ ना जाए , इसी डर से चुप रहता हूँ!
पर अब ये लगता है , सब सच-सच आपसे कह देंगे ,
जो है बीच के सब फासले , उन्हें शब्दों से मिटा देंगे ..
इसीलिए .
इसीलिए ..
मेरी हर बात को दिल से सुनियेगा , दिल से महसूस कीजिएगा ,
मैं आपसे आज इस दिल की बात , उसी की जुबानी कह रहा हूँ!!!
आज मैं फिर आपसे कह रहा हूँ!.....हर अलफ़ाज़ मे अपने एहसासों को पिरो रहा हूँ!