
खुली पलक के सुनहरे सपने में तू हैं,
बंद आँखों के उन गिरते आंसूओं में तू हैं,
तू लगती है मुझे ... कुछ कुछ अपनी सी.....
मैं नहीं जिसे बदल सकता, हाथो की उन लकीरों में तू हैं!
वो हथेली से उडी.. वो ढेर सारी मन्नतें,
वो पूजा की थाली में गिरते, हज़ारो के सिक्के,
बस पूरे कर सके.. वो हर ख्वाब तेरे,
मेरी उन सब हसरतो में .... सिर्फ तू हैं!
वो रहना तेरा .. बन के सवाल, मेरे ख्यालो में,
वो आना तेरा .. बन के जवाब, मेरे सवालों में,
सोचता हूँ कभी कि ... तूझे नज़र अंदाज़ कर दूं,
पर देखता हूँ कि मेरे हर अंदाज़ में तू हैं!
मैं पाता हूँ, हर पल.. तुझे करीब अपने,
बिन तेरे, लगते है मुझे सब ख्वाब अधूरे अपने,
अब तो वो उपरवाला भी जुदा नहीं कर सकता मुझको तुझसे..
बन के मेरा साया .... हर घडी... मेरे संग तू हैं!