
आज ज़िन्दगी की एक और शाम ढल गयी....
दे के कुछ हसीं यादें, एक पल कम कर गयी....
कुछ गम, कुछ आंसू, और कुछ हँसी के पल दिए इसने,
दिए कुछ अंधेरे .... कुछ तारे चमका के चली गयी....
चाहता था मैं भी हँसना, और लोगो को हँसाना,
चाहता था रूठ कर मैं, उनसे अपनी बाते मनवाना,
पर कुछ ही पल में, मैं हो गया सबसे बेगाना...
हँसा-हँसा कर ये, मेरी आँखों मैं बिछड़ने के आंसू दे गयी..
आज ज़िन्दगी की .....................................कम कर गयी
हो शामिल हर दम..हर महफ़िल में, आप मेरे साथ
ना हो भी आप मुद-दा, पर करता हूँ आप ही की बात,
जाने किस रंग से.. किस बात से..ये हो गया है जादू........
बना के हमे मोहसिन, वो दूसरो के जानिब हो गयी!!
आज ज़िन्दगी की .....................................कम कर गयी
बिछड़ गए तो क्या, हम सदा यही दुआ करेंगे
रहो तुम सदा जीतते, यही बस तमन्ना करेंगे
ना मुड़ पाओ हमारे लिए, तो हमे रश्क ना होगा.
आपकी यादो का तोहफा जो... ये ज़िन्दगी हमे दे गयी..
आज ज़िन्दगी की .....................................कम कर गयी