
हम खुदा से पूछते है, कही ये चाँद तेरा अक्स तो नहीं..
हमको तो हर चेहरा उन सा लगता है..
आग ही जाने, आग ये कितनी कमसिन है..
जलने वाला. अपनी जलन से डरता है...
हम से ना पूछो, दर्द-ए-जिगर क्या होता हैं,
मदहोशी में, नाम तुम्हारा लेता हैं....
दूर गए हो, फिर भी यादो में रह कर....
तेरा चेहरा, मेरा निगहबान बना रहता हैं...
आओगे जब लौट के, तो हम देखेंगे,
दिल ये हमारा, कैसे खुद ही संभालता हैं.....
आँखें तेरी खुद में हे नूर-ए-गुलिस्तान हैं,
देखे कैसे अब खुद को,.... खुदा देखता हैं!!